बांका, जून 25 -- बांका। वरीय संवाददाता एक रात में सब कुछ बदल गया था। अखबार खाली पन्नों से भरे थे, लोगों की आवाज़ों पर ताले लग गए थे और डर सड़कों पर घूमता था। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 25 जून 1975 की रात को एक ऐसी तारीख के रूप में याद किया जाता है, जब पूरे देश पर आपातकाल का साया छा गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में आंतरिक संकट का हवाला देते हुए लगाए गए इस आपातकाल ने संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों को लगभग निलंबित कर दिया। इस विशेष रिपोर्ट में हम बात कर रहे हैं उन आम नागरिकों की, जिनकी ज़िंदगी पर इस निर्णय का सीधा असर पड़ा था वैसे कुछ ने डर झेला, कुछ ने प्रतिरोध किया और कुछ ने चुपचाप अन्याय को सहा। आज भी लोग उस आपातकाल को याद कर अपने आंखों देखी हाल सुनाते नहीं थकते हैं। आपातकाल एक ऐसा कालखंड था जिसने भारत को सिखा...