सीवान, अक्टूबर 24 -- सीवान। बिहार की राजनीति में जातिवाद की जड़ें गहरी हैं, पर अब आम लोगों में बदलाव की चाह दिख रही है। नेताओं ने जाति को सामाजिक न्याय से ज्यादा सत्ता पाने का औजार बना लिया है। गांवों में आज भी वोट जाति देखकर दिए जाते हैं। इससे विकास पीछे रह जाता है। नई पीढ़ी काम और योग्यता के आधार पर राजनीति देखना चाहती है। अब महिलाएं इस सोच से धीरे-धीरे ऊपर उठ रही हैं। कुछ लोग कभी-कभी जातीय समीकरणों को हवा देते है। शिक्षा ही जातिवाद खत्म करने का सबसे बड़ा हथियार है। जब नेता जाति नहीं, काम के दम पर वोट मांगेंगे, तभी असली लोकतंत्र मजबूत होगा। बिहार की राजनीति में जातिवाद वर्षों से सत्ता और रणनीति का प्रमुख आधार रहा है। नेताओं ने विकास की जगह जातीय भावनाओं को भड़काकर चुनाव जीतना आसान समझ लिया है। इससे समाज में विभाजन बढ़ा है। जातिवाद की वज...
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