शैलेन्द्र सेमवाल। देहरादून, जून 25 -- आपातकाल (1975-1977) के दौरान देहरादून सत्ता के सख्त फैसलों का मूक गवाह बना। उस दौर में राजनीतिक विरोधियों पर नकेल कसी गई। खासकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कार्यकर्ता निशाने पर थे। नागरिक अधिकारों को कुचलने के गंभीर आरोप तक लगे। जिनकी गिरफ्तारी नहीं हुई, वे पहचान छिपाकर भागते रहे, तो कई ने जेल की सलाखों के पीछे महीनों बिताए। आपातकाल की घोषणा के साथ ही देहरादून और इसके आसपास के इलाकों में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की धरपकड़ शुरू हो गई थी। तब मीडिया पर सेंसरशिप लाद दी गई। लोगों को किसी ठोस कारण के बिना गिरफ्तार किया जाने लगा था। इतना ही नहीं, नसबंदी अभियान के नाम पर आम लोगों को जबरन ऑपरेशन के लिए मजबूर किया गया।तब मोती बाजार से शुरू हुआ था संघर्ष आपातकाल लागू होने से ठीक एक दिन पहले, 24 जून 1975 को मो...