नई दिल्ली, अप्रैल 14 -- 14 अप्रैल बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उनकी यादें और संघर्षों को याद किया जाता है। एक ऐसी घटना, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी। बात तब की है, जब आंबेडकर नौ साल के थे। अपने भाई-बहनों के साथ वे पिता से मिलने को उत्सुक थे। रेलवे स्टेशन पर उतरकर तांगे की प्रतीक्षा करने लगे। एक आया भी लेकिन, फिर ऐसी घटना हुई, जिससे नन्हें आंबेडकर का दिल भर गया। इस घटना का जिक्र आंबडेकर ने अपनी आत्मकथा 'Waiting for a Visa' में मिलता है। यह घटना 1901 की है, जब डॉ. भीमराव आंबेडकर और उनका परिवार सतारा में रहते थे। उस समय उनकी मां का देहांत हो चुका था और उनके पिता कोरेगांव में खजांची की नौकरी करते थे। उनके पिता का कार्य सतारा जिले के कोरेगांव में था, जहां बंबई की सरकार अकाल से पीड़ित किसानों को रोजगार देने के लिए तालाब खुदवा रही ...
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