गाजीपुर, अगस्त 17 -- मुहम्मदाबाद/भांवरकोल। 18 अगस्त 1942 का दिन गाजीपुर के स्वतंत्रता संग्राम इतिहास में अमर है, जब शेरपुर गांव के वीर नौजवानों ने तिरंगे की शान में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। आजादी के आंदोलन में जब 'भारत छोड़ो और 'करो या मरो का मंत्र महात्मा गांधी ने दिया, तब इसकी गूंज शेरपुर तक भी पहुंची। डॉ. शिवपूजन राय के नेतृत्व में शेरपुर के सैकड़ों नौजवान 18 अगस्त को मुहम्मदाबाद तहसील भवन पर तिरंगा फहराने के लिए निकले। इससे पहले 14 अगस्त को गौसपुर में बन रहे अंग्रेजों के हवाई अड्डे को ध्वस्त किया गया और 17 अगस्त को मुनसिफी तथा पोस्ट ऑफिस पर तिरंगा फहराया गया। डॉ. शिवपूजन राय ने आंदोलनकारियों से कहा कि यह लड़ाई पूरी तरह अहिंसात्मक होगी, कोई भी हथियार नहीं उठाएगा। रास्ते में जुलूस दो दलों में बंटा-एक का नेतृत्व डॉ. तिलेश्वर राय और दू...