नई दिल्ली, जुलाई 10 -- हमेशा एक दूसरे के कट्टर दुश्मन माने वाले जाने मराठा और मुगल कभी एक साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़े थे। ये बात है 1803 की, जब दिल्ली के पास यमुना नदी के किनारे बसे शांत पटपड़गंज का मैदान गोलियों और तोपों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मराठा साम्राज्य और मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज का मुकाबला करने के लिए कमर कसी थी। यह युद्ध न केवल एक सैन्य टकराव था, बल्कि भारत के भविष्य को तय करने वाला एक निर्णायक मोड़ भी साबित हुआ।मराठा-मुगल गठजोड़, एक आखिरी कोशिश मराठा सरदारों को मुगलों के बढ़ते प्रभाव से आजादी चाहिए थी और मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय मराठों के प्रभुत्व से मुक्ति चाहते थे। इस साझा हित ने दोनों को एक साथ ला खड़ा किया। मराठा सेना को फ्रांसीसी सेना का साथ मिला, जिन...