गया जी, सितम्बर 11 -- पितरों की नगरी गया जी का धार्मिक महत्व वेद-पुराणों से लेकर आधुनिक समय तक अमिट है। यहां पितृपक्ष के दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए पिंडदान करने आते हैं। गया जी में लगभग 54 पिंडवेदियां हैं, लेकिन इनमें जनार्दन मंदिर की वेदी का महत्व सबसे विशेष माना जाता है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां जीवित व्यक्ति स्वयं का पिंडदान, यानी आत्मश्राद्ध, करता है। भस्मकूट पर्वत पर स्थित है मंदिर: जनार्दन मंदिर गया जी के भस्मकूट पर्वत पर मां मंगला गौरी मंदिर के उत्तर में स्थित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने स्वयं यहां वेदी की स्थापना की थी। स्थानीय पुरोहितों का कहना है कि जो व्यक्ति वैराग्य धारण कर लेता है या जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो, अथवा जो अपने जीवन के पाप कर्मों का प्रायश्चित...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.