अहमदाबाद, अक्टूबर 2 -- गुजरात हाई कोर्ट ने न्यायाधीशों से उच्च नैतिक मूल्यों के साथ पूरी ईमानदारी बरतने का आह्वान किया है। कोर्ट ने कहा है कि किसी न्यायाधीश के पूरे सेवा रिकॉर्ड में उसके खिलाफ एक भी प्रतिकूल टिप्पणी या उसकी ईमानदारी पर सवाल उसकी 'अनिवार्य सेवानिवृत्ति' के लिए पर्याप्त आधार है। जस्टिस ए एस सुपेहिया और जस्टिस एल एस पीरजादा की पीठ ने मंगलवार को सुनाए अपने आदेश में कहा कि ऐसे न्यायिक अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करना भी जरूरी नहीं है, क्योंकि जनहित में अनिवार्य सेवानिवृत्ति दंड के समान नहीं है। याचिकाकर्ता एडहॉक सत्र न्यायाधीश जे के आचार्य को नवंबर 2016 में हाईकोर्ट ने 17 अन्य सत्र न्यायाधीशों के साथ अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया था। उनकी दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि प्रत्येक न्यायाधीश को अपन...