गिरडीह, फरवरी 19 -- गिरिडीह/तिसरी। आजादी के 7 दशक बाद भी तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव के लोग टापू की जिंदगी जी रहे हैं। प्रशासन ने चार साल पहले जच्चा-बच्चा की मौत के बाद भी कुछ सबक नहीं लिया और एक बार फिर एक आदिवासी प्रसूता की मौत हो गई। यह हालात तब है जब सूबे में हेमंत सोरेन की अबुआ सरकार है। उस पर यह विडंबना उस प्रखंड का है जहां से वर्ष 2000 में बाबूलाल मरांडी पहले मुख्यमंत्री हुए। फिलहाल इस क्षेत्र के वे विधायक हैं। उल्लेख्य रहे कि लक्ष्मीबथान गांव में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। विकास की रोशनी अभी तलक गांव तक नही पहुंची है। गांव के ग्रामीण मुख्य रूप से सड़क, पुल, पानी, बिजली और स्वास्थ्य जैसी समस्याओं से आज तक जूझ रहे हैं। यहां के गरीबों का पीएम आवास भी नहीं बना है। लेकिन अभी तक लक्ष्मीबथान के ग्रामीणों की सुध लेने ना तो क्षेत्...
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