जयपुर, जुलाई 22 -- उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के साथ ही राजस्थान की राजनीति में जाट समुदाय की भूमिका को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई है। बीजेपी के पास अब कोई भी ऐसा चेहरा नहीं बचा है, जो जाट समुदाय का शीर्ष स्तर पर प्रतिनिधित्व करता हो। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या जाटों से बीजेपी की दूरी, उसे आगामी चुनावों में भारी पड़ सकती है? कांग्रेस ने इस मौके को तुरंत भांपते हुए हमला बोला है। प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा पर जाटों की लगातार अनदेखी का आरोप लगाया। डोटासरा का कहना है कि भाजपा ने जाट कौम को हमेशा हाशिये पर रखा और अब धनखड़ के इस्तीफे के बाद यह पूरी तरह उजागर हो गया है।संगठन और सरकार में सीमित मौजूदगी राज्य में मौजूदा भजनलाल शर्मा सरकार की कैबिनेट में जाट नेताओं की भागीदारी महज 16 फीसदी है। इनमें पीएचई...
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