रांची, सितम्बर 10 -- अड़की, प्रतिनिधि। आज भी इंसानियत और मानवता जिंदा है, इसका जीता-जागता उदाहरण अड़की प्रखंड में बुधवार को देखने को मिला। दरअसल, हिन्दुस्तान अखबार ने कुछ दिन पहले अड़की प्रखंड के बेड़ाहातू गांव के घने जंगल में स्थित बापल टिकुरा नामक स्थान पर रह रहे 11 सदस्यीय गरीब आदिवासी परिवार की बदहाली को उजागर किया गया था। इस परिवार की स्थिति ऐसी है कि उनके घर के तीन किलोमीटर के दायरे में कोई दूसरा घर तक नहीं है। खबर में यह भी सामने आया था कि इस परिवार के बच्चों ने आज तक रसगुल्ला जैसी साधारण मिठाई भी नहीं खाई थी। यह तथ्य खूंटी जिले की एक आदिवासी महिला पदाधिकारी को गहराई तक छू गया और उन्होंने तुरंत इस परिवार की मदद करने का निश्चय किया। परिवार के सदस्यों को भोजन और कपड़ों का मिला तोहफा: मानवता की मिसाल पेश करते हुए पदाधिकारी ने परिवार क...
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