चंदौली, अगस्त 6 -- नौगढ़, हिन्दुस्तान संवाद। जंगल में छूट्टा पशुओं को चरने से रोपे गए पौधों को नुकसान पहुंच रहा है। इससे वनों के विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आसपास के लोगों का कहना है कि वन विभाग को इस पर रोक लगानी चाहिए। नौगढ के जंगलों में बरसात के दिनों में दूसरे क्षेत्रों के काफी संख्या में पशु पालक पशुओं के लेकर जंगल में आ आ जाते हैं। करीब 04 महीने तक पशुओं को जंगल में छुट्टा चराने के बाद पशु पालक अपने अपने घरों को ले जाते हैं। क्षेत्रीय और बाहरी पशुओं को जंगल में चरने से प्राकृतिक और रोपित पौधों को बहुत काफी क्षति पहुंच रही है। वहीं खोवा बनाने के लिए ईधन के रूप में प्रयोग करने के लिए जंगल में मौजूद अधिक ज्वलनशील खैर आंवला सिद्ध के पेड़ों को काटा जा रहा है। जिससे इन प्रजाति के पेड़ों की संख्या दिनों दिन सिमट रही है। क्षेत्र...