सुमित, अक्टूबर 5 -- बिहार में अब छोटे अपराध के दोषियों को अब जेल की सजा नहीं होगी। न्यायालय विकल्प के रूप में ऐसे अपराधियों की पृष्ठभूमि व अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए उनको सामुदायिक सेवा की सजा दे सकता है। सामुदायिक सेवा के रूप में उनको अस्पताल, नगर निकाय, पुलिस थाना, सरकारी कार्यालय आदि में एक खास अवधि तक सफाई और रखरखाव आदि का काम करना पड़ेगा। इसे लेकर गृह विभाग (कारा) ने बिहार सामुदायिक सेवा नियमावली 2025 को अधिसूचित कर दिया है। यह निर्णय उन मामलों में लिए जा सकेंगे, जिनमें छह माह से लेकर अधिकतम तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। अधिसूचना के मुताबिक अपराध के ऐसे मामलों में न्यायालय अपराध की प्रकृति एवं गंभीरता, अपराधी की उम्र, उसका चरित्र, पूर्ववत् मामले की परिस्थिति एवं अपराधी के पुनर्वास की संभावना आदि का ध्यान रखेगा। पहली बार या...