नई दिल्ली, जुलाई 14 -- जमालुद्दीन उर्फ छांगुर का माफिया राज पूरी दबंगई से चला। उसके साम्राज्य के आगे कोतवाल, सीओ व एसडीएम की भी नहीं चलती थी। उसने अपने आगे किसी अफसर की नहीं सुनी। उसकी करतूतों की जब जांच शुरू हुई तो एसटीएफ की सख्ती का भी उस पर असर नहीं पड़ा। एसटीएफ ने उसे बयान के लिए कई नोटिस दी लेकिन उसने एसटीएफ मुख्यालय जाने से साफ मना कर दिया। दबाव बना तो उसने कोर्ट की शरण ले ली। कोर्ट के आदेश पर एसटीएफ पूछताछ करने छांगुर की कोठी पहुंची तो जिस कमरे में टीम बैठाई गई, वहां पहले से हर कोने में सीसी कैमरे लगे थे। छांगुर का एक वकील पहले से वहां पर था। छांगुर से एसटीएफ की पूछताछ की बाकायदा रिकार्डिंग होती रही। जांच एजेन्सियों के सामने भी यह बात आई है। कोर्ट ने एसटीएफ से कहा था कि वह छांगुर से उसकी कोठी में बयान ले।तालाब की जमीन पर कब्जा मिला...
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