गोरखपुर, अक्टूबर 28 -- गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता प्रमुख छठ घाटों पर भीड़ और सुरक्षा कारणों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु अब अपने घरों की छतों पर ही अस्तांचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया तो तो कुछ ने पास पड़ोस में बने कृत्रिम तालाब में। बिछिया हो या फिर बेतियाहाता। ऊंचे-ऊंचे अपार्टमेंट में भी छठ व्रती महिलाएं डूबते सूरज की अराधना में लीन दिखीं। घरों की छतों पर ईंट से चारों ओर घेरकर छोटे-छोटे हौद बनाए गए थे जिनमें जल भरकर व्रती सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। कई लोग प्लास्टिक टब या छोटे टैंक का भी उपयोग किया। हौद के चारों ओर अबीर-गुलाल, केला, गन्ना, सूप और नारियल से सजावट भी दिखी। शाम ढलते ही रंग-बिरंगी लाइटों से छतें जगमगाने लगती हैं और पूरा माहौल छठ मइया की भक्ति से ओतप्रोत हो उठता है। महिलाओं के पारंपरिक गीत 'केलवा जे फरेला घवद से...'वातावरण क...