भभुआ, अक्टूबर 29 -- अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का होता है अक्षय फल आंवला वृक्ष तले प्रसाद तैयार कर ग्रहण व वितरण करते हैं श्रद्धालु भभुआ, कार्यालय संवाददाता। छठ के बाद श्रद्धालु अब अक्षय नवमी का व्रत करेंगे। अक्षय फल देनेवाली अक्षय नवमी 30 नवंबर को मनाई जाएगी। अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का अक्षय फल मिलता है। इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे प्रसाद तैयार करने व उसके पूजन का विशेष महत्व है। 'यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे' का मंत्रोच्चारण कर कर्पूर या घी के दीपक से आंवले के वृक्ष की आरती की जाती है। इसकी जानकारी ज्योतिषाचार्य वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी ने दी और बताया कि आरती के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राम्हणों व सच्चे साधक-भक्तों को भोजन कराने के बाद स्वयं भी करना चाहिए। घर ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.