लखीसराय, मार्च 18 -- जलवायु परिवर्तण से मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है। इस बार चैत के शुरूआती दौर में ही मौसम के तेवर तल्ख होने लगे है। अभी ही मई-जून सी तपिश की अहसास होने लगा है। समय से पहले तापमान बढ़ने ओर किउल नदी से अनवरत हो रहे बालू ढुलाई से नदी पूरी तरह सूखने के कगार पर पहुंच गई है। नदी सूखने से आने वाले दिनों में भू गर्भ जलस्तर पर भी इसका होगा। किसानों की फसल पानी के अभाव में सूख रहे है। अप्रैल, मई व जून माह में देह जला देने वाली गर्मी में मवेशियों के लिए पानी जुटाना मुश्किल हो जायेगा। कुंदर से किउल तक फैली नदी में कहीं भी पानी स्टॉक नहीं है। सिंचाई के लिए ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार कुंदर बराज का आंगन भी इस बार पानी के लिए तरस रहा है। नदी में पानी नहीं रहने से उपजाऊ भूमि भी गर्मी में बंजर हो गई है। नदी किनारे बसे लोग गर्मी में फसलो...