रामपुर, सितम्बर 7 -- ढकिया/शाहबाद। ढकिया का चार दिवसीय ऐतिहासिक ध्वजा मेला शनिवार को लोगों के चेहरों पर उदासी छोड़कर गया। दंगल के समापन की घोषणा ने बड़ों को परेशान किया तो उखड़ते झूले देख बच्चों के चेहरे लटक गए। दूर से टकटकी लगाए वे अपने मस्ती के जरियों को देखते रहे। हालांकि आखिरी दिन उन्होंने खूब मस्ती भी की। शाहबाद के ढकिया गांव में ध्वजा मेले की सालों पुरानी परंपरा है। रानी पद्मावती की याद में लगाए जाने वाला मेला गांव और आसपास क्षेत्र के लिए त्योहार जैसा है। लोग कई दिन पहले तैयारी शुरू कर देते हैं। इसके लिए दूर क्षेत्र के रिश्तेदारों को भी दावत दी जाती है। बताया जाता है कि रानी पद्मावती अपनी दासियों के साथ यहां सती हो गई थीं, उनके मठ आज भी यहां मौजूद हैं। मनोरंजन के साथ ही मेले में संस्कृति का समागम होता है। इस दौर में भी पुराने समय की...