भभुआ, अक्टूबर 13 -- रामगढ़ छोड़ जिले की तीन विधानसभा सीटों पर जीत का खाता खोल चुके हैं हाथी के सवार सपना साकार करने को पार्टी ने कई नेताओं को आजमाया, पर हर बार धराशाई हुई जीत की उम्मीद (पेज चार) रामगढ़, एक संवाददाता। चुनावी चक्रव्यूह में कैमूर के चौथे फाटक रामगढ़ को बसपा अब तक भेद नहीं सकी है। बसपा ने 35 साल पहले वर्ष 1990 में रामगढ़ के चुनावी अखाड़े में पहली दफा कदम रखा और तब इस पार्टी के प्रत्याशियों को सात बार दूसरे और तीन बार तीसरे नंबर से ही संतोष करना पड़ा है। जीत का सपना साकार करने को ले पार्टी ने कई धुरंधरों को आजमाया, पर हर बार उम्मीदें धराशाई होकर रह गई। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में चाचा अंबिका यादव के चूकने के बाद भतीजे सतीश सिंह उर्फ पिंटू यादव ने उपचुनाव 2024 में कैमूर के इस गढ़ को फतह करने की कोशिश की। हालांकि भतीजे का सपना भी चक...
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