रांची, अक्टूबर 22 -- रांची। कायस्थ कुल के आदिपुरुष भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज का प्राकट्य यम द्वितीया (भाई दूज) के दिन हुआ था। इसी कारण इस दिन कायस्थ समुदाय अपने घरों में श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान श्री चित्रगुप्त जी का पूजन-अर्चन करते हैं। यह परंपरा केवल कायस्थों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अनेक सनातन धर्मावलंबी भी पूरी श्रद्धा के साथ चित्रगुप्त जी की आराधना करते हैं, भले ही उनकी जाति या उपजाति भिन्न क्यों न हो। इस दिन भगवान चित्रगुप्त के उपासक कलम और दवात का प्रयोग नहीं करते। पूजा के उपरांत वे पूरे वर्ष की आय-व्यय का विवरण लिखकर उसे भगवान को समर्पित करते हैं। चित्रगुप्त जी का उद्भव और दायित्व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने एक बार अपने ज्येष्ठ पुत्र को सृष्टि की रक्षा का भार सौंपकर समाधि ले ली। ब्रह...
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