सीवान, जुलाई 26 -- राधेश्याम दुबे आंदर। शहीदों के मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा, प्रखंड के चित्तौर गांव को आसपास के गांव के लोग वीरों की भूमि कहते हैं। बात भी सही है यहां आज भी देश सेवा करने वालों जवानों की संख्या अधिक है। ग्रामीण बताते हैं कि चित्तौर गांव के ही रम्भू सिंह में दुश्मनों से लोहा लेते हुए कारगिल में शहीद हो गए थे। वे दुश्मनों के भारी गोलीबारी के बीच 20 जुलाई को अमरत्व को ग्रहण कर लिया। ग्रामीणों ने बताया कि उनके शहादत के बाद पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया था। लेकिन अगले दिन गांव के युवाओं ने कसम खाया की देश पर कुर्बान होने का यह सिलसिला अब खत्म नहीं होने दिया जाएगा। हम लोग मातृभूमि के लिए अपना सर कटा कर भी इसे आजाद रखेंगे। हालांकि, परिजनों और ग्रामीणों को दुख इस बात का है कि उनके श...
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