हजारीबाग, फरवरी 14 -- हजारीबाग प्रसन्न अमर हजारीबाग में जब कैप्टन करमजीत का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो रहा था, तब चिता की लपटों के बीच मेजर अमृता कौर के सपने भी जल रहे थे। जिस जीवन साथी के साथ उसने नई जिंदगी के ख्वाब बुने थे, वो अब सिर्फ यादों में था। अमृत कौर न सिर्फ एक बहादुर आर्मी अफसर हैं, बल्कि एक मजबूत युवती भी। इस कठिन घड़ी में भी वह खुद को संभाले रहीं और अपने दोनों परिवारों को ढांढ़स बंधाती दिखीं। कैप्टन करमजीत और मेजर अमृत कौर की प्रेम कहानी भी सेना के अनुशासन और आदर्शों से जुड़ी थी। दोनों की मुलाकात आर्मी में ही हुई थी। दोस्ती बढ़ी, फिर प्यार हुआ और जल्द ही दोनों ने जीवनभर साथ निभाने का फैसला कर लिया। 6 अप्रैल 25 को शादी तय हुई थी, हजारीबाग में मार्च में शगुन की रस्में होनी थीं। बारातियों के टिकट बुक हो चुके थे, परिवार शा...