अररिया, अगस्त 18 -- फारबिसगंज, निज संवाददाता। कुसहा त्रासदी के बाद जब कोसी की धारा थमी तो चारों ओर बर्बादी का मंजर था। मगर इसी खौफनाक हालात के बीच जिंदगी ने भी अपनी राह ढूंढ़ ली। अनुमंडल में संचालित करीब 100 राहत शिविरों में चार महीने तक लाखों बाढ़ पीड़ितों का सहारा बना यही कैंप। इन्हीं चार महीनों के दौरान राहत शिविरों में ढाई सौ बच्चों ने जन्म लिया, जिन्होंने कठिन दौर में भी नई उम्मीद का संदेश दिया। सबसे बड़े राहत शिविर बथनाहा में जन्म लेने वाले बच्चों की माताओं को तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने हाथों से राहत राशि दी थी। तत्कालीन स्वास्थ्य प्रभारी और वर्तमान में जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि प्रसव कक्ष से लेकर बच्चों के लिए दूध-बिस्कुट तक की समुचित व्यवस्था प्रशासन की ओर से की गई थी। इन राहत...