आरा, जून 24 -- भागवत कथा पीरो, संवाद सूत्र पीरो के परमानंद नगर में चल रहे चातुर्मास व्रत के दौरान संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने मंगलवार को श्रद्धालुओं को बताया कि सन्यास और सन्यासी चार प्रकार के होते हैं। कुटीचक, बहुदक, हंस और परमहंस। जो मानव गृहस्थ आश्रम में रहते हुए कर्तव्य मुक्त हो जाता है और घर छोड़कर कंबल, त्रिदंड और खड़ाऊ के साथ गेरुआ वस्त्र पहनकर भजन में लग जाता है, वह कुटीचक सन्यासी कहलाता है। बहुदक सन्यासी वैसे होते हैं जो अपने कर्तव्यों को पूरा करने के बाद विधि विधान से सन्यास धारण करते हैं। हंस सन्यासी बचपन से ही ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और सामान्य जीवन जीते हुए भगवान का गुणगान करते हैं। परमहंस सन्यासी वैसे होते हैं जो श्रीमन् नारायण से सदा के लिये जोड़ लेते हैं और कभी भी स्त्रियों के सम्पर्क में नहीं आते है...