प्रयागराज, फरवरी 12 -- महाकुम्भ नगर, हिन्दुस्तान संवाद। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सेक्टर 22 स्थित शिविर में सनातन धर्म के चारों आश्रम की व्याख्या करते हुए गृहस्थ आश्रम को सबसे महत्वपूर्ण आश्रम बताया है। उन्होंने कहा, आश्रम महज एक रहने के लिए आश्रय स्थल नहीं है और न ही आराम करने की जगह है। सभी आश्रमों में रहने का अपना शास्त्र सम्मत नियम है। आश्रम सनातन धर्मानुसार सभी नियमों का पालन करते हुए श्रम पूर्वक जीवन व्यतीत करने का आश्रय स्थल होता है। शंकराचार्य ने कहा सनातन धर्म में ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास चार आश्रम व्यवस्था है। ब्रह्मचर्य आश्रम में ब्रह्मचर्य नियमों का पालन करते हुए अध्ययन करना मुख्य कार्य है। अध्ययन करना सरल कार्य नहीं है, ज्ञान कठिनता से ही हासिल होता है। ब्रह्मचर्य नियमों में बंधे रहना ही ब...
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