विधि संवाददाता, दिसम्बर 26 -- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छेड़छाड़ के एक मामले में सम्मन आदेश को रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि मजिस्ट्रेट संज्ञान लेते समय चार्जशीट में उल्लिखित आईपीसी की धाराओं में बदलाव नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि धाराओं को जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया केवल आरोप तय करने के स्तर पर ही की जा सकती है। कोर्ट के समक्ष मुख्य कानूनी प्रश्न यह था कि जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री के आधार पर सम्मन आदेश और आपराधिक कार्यवाही की जा सकती है या ऐसे तर्कों को डिस्चार्ज के स्तर के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए। न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि ने धारा 482 के तहत दायर अर्जी को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। मिर्जापुर के सिविल जज जूनियर डिवीजन के 28 मई 2024 के सम्मन आदेश को चुनौती दी थी। यह कार्यवाही मिर्जापुर मे...
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