नई दिल्ली, नवम्बर 21 -- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि आपराधिक मामलों में अंतहीन जांच की इजाजत नहीं दी जा सकती है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपपत्र दाखिल करने में अत्यधिक देरी होती है तो आरोपी के खिलाफ चल रहा मुकदमा रद्द किया जा सकता है। जस्टिस संजय करोल और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी रॉबर्ट लालचुंगनुंगा चोंगथु उर्फ आरएल चोंगथु के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले को इस आधार पर रद्द कर दिया कि 11 साल बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हुई। पीठ ने कहा कि इस तरह की बिना वजह और अत्यधिक देरी पूरे मुकदमे को खराब करने के लिए काफी है। पीठ ने कहा कि मामले में आगे की जांच करने की अनुमति देने के बाद ट्रायल कोर्ट अपने आप काम नहीं करते और पूरक आरोपपत्र दाखिल करने में काफी देरी के लिए जांच एजेंसियों से जवाब म...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.