बहुश्रुत जय मुनि, जुलाई 29 -- श्रावण में श्रवण हो, भाद्रपद में भद्रता हो, आश्विन में स्वास्थ्य रक्षा हो तथा कार्तिक में कुसंस्कारों का निराकरण हो, ये हैं चातुर्मास काल के चार संदेश, जिन्हें हर मानव को ग्रहण करने चाहिए। जैन काल गणना मानती है कि वर्ष का प्रारंभ वर्षा ऋतु से होता है। वर्षा के चार महीने श्रावण, भाद्रपद, आश्विन एवं कार्तिक होते हैं। श्रवण, भाद्रपद, अश्विनी एवं कृतिका इन चार नक्षत्रों के नाम पर इन महीनों का नामकरण हुआ है। भारत की ऋषि परंपरा ने इन चार महीनों में 'स्थिरता' को अधिमान दिया है। चार महीने यात्राओं पर प्रतिबंध रहता है। न केवल संन्यासी चार माह के लिए स्थिर हो जाते थे, अपितु शासक (क्षत्रिय वर्ग) भी विजय अभियानों को रोक देता था। इसी तरह वैश्य वर्ग भी अपनी व्यापारिक गतिविधियां रोक देता था। वैदिक-बौद्ध एवं जैन साधु-साध्विय...