बिहारशरीफ, अक्टूबर 13 -- चाइनीज लाइटों और प्लास्टिक के आगे फीकी पड़ी मिट्टी की चमक कुम्हारों के चाक पर संकट, सता रही भविष्य की चिंता त्योहारों में सिमट कर रह गई मिट्टी के बर्तनों की मांग कारीगर बोले- अब सिर्फ पूजा-पाठ में ही आते हैं याद फोटो: मिट्टी दीया: राजगीर में मिट्टी के दीये और बर्तन तैयार करते कारीगर। राजगीर, निज प्रतिनिधि। दीपावली और छठ महापर्व को लेकर राजगीर के कुम्हार टोलों में चाक की गति तो तेज हो गई है। लेकिन, कारीगरों के चेहरों पर भविष्य की चिंता साफ झलक रही है। एक ओर जहां वे दीये, मूर्तियां और पूजा के बर्तन बनाने में दिन-रात एक किए हुए हैं। वहीं दूसरी ओर प्लास्टिक और चाइनीज सामानों के आक्रमण ने उनके पारंपरिक हुनर को विलुप्त होने की कगार पर ला खड़ा कर दिया है। खिलौनों की जगह अब सिर्फ दीये-बर्तन: शंकर पंडित, गुड्डू कुमा व अन्य...