शामली, जुलाई 26 -- श्री दिगंबर जैन साधु सेवा समिति द्वारा शहर के जैन धर्मशाला में आयोजित मुनि 108 विव्रत सागर मुनिराज ने धर्म सभा को संबोधित उन लोगों पर चर्चा की जो चमत्कार की अपेक्षा में एक गुरु से दूसरे गुरु और भगवान से दूसरे भगवान के पास जाते हैं। मुनिश्री ने बताया कि जब उन्हें तुरंत चमत्कार नहीं मिलता, तो वे अपनी श्रद्धा पर विचार करने के बजाय गुरु को दोष देते हैं। वे कहते हैं कि वास्तविक चमत्कार श्रद्धा से होता है। उन्होंने पंचम काल में भी णमोकार मंत्र, भक्तामर स्तोत्र और शांति अष्टक की अद्भुत शक्तियों का उल्लेख करते हुए सुभोम चक्रवर्ती, अंजन चोर, आचार्य मानतुंग स्वामी और समंतभद्र आचार्य के प्रेरणादायक प्रसंग सुनाए। उन्होंने श्रद्धा और मंत्र शक्ति के माध्यम से प्राप्त चमत्कारों का यथार्थ चित्रण किया। वर्ष 2015 की घटना का जिक्र किया, ज...