बगहा, दिसम्बर 2 -- चनपटिया नगर के विभिन्न वार्डों में स्थित कुंए कभी सामाजिक जीवन, धार्मिक आस्था और रोजमर्रा के उपयोग का केंद्र रहे हैं, जो आज बदहाली के प्रतीक बन चुके हैं। एक समय था जब इससे लोगों की प्यास बुझती थी। लेकिन, आज यह खुद बूंद-बूंद की मोहताज बनी हुई है। तपती दुपहरिया में अब लोगों की इससे प्यास नहीं बुझ पाती है। कभी पूरे क्षेत्र में पेयजल एवं सिंचाई कुआं पर आधारित थी। अमूमन हर गांव-मोहल्लों में 5-7 कुआं होता था। परन्तु अब कुओं का वजूद धीरे-धीरे समाप्ति के कगार पर पहुंच गया है। भूजल स्तर बनाये रखने में कारगर ये कुंए अब लोगों और प्रशासन के लिए अनुपयोगी हो गये हैं। अधिकांश लोग चापाकाल व सबमर्सिबल पर निर्भर होकर रह गए हैं। जलस्तर के नीचे गिरने के कारण निकट भविष्य में जल की किल्लत होने की संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं। नगर के अधिकांश कु...