लखीसराय, मई 10 -- बड़हिया। शिक्षा विभाग के अंतर्गत लखीसराय जिला में कार्यरत 70 की संख्या में रहे चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के मन में वर्षों से पदोन्नति की आश बनी हुई है। जो केवल आश्वासन तक ही सीमित रह गई है। वर्ष 1987 से 2000 तक अनौपचारिक अनुदेशक के रूप में कार्यरत रहे ये कर्मचारी शिक्षा की बुनियाद रखने वाले पहले सिपाही थे। जो 6 से 14 उम्र के बच्चों को साक्षर बनाने के मिशन से जुड़े थे। प्रत्येक वार्ड में एक केंद्र चलता था। जहां एक की संख्या में अनौपचारिक अनुदेशक नियुक्त थे। हालांकि वर्ष 2000 में सरकार द्वारा इन शिक्षा केंद्रों को बंद कर दिए जाने के बाद हजारों अनुदेशक सड़क पर आ गए। जिनकी मासिक मानदेय महज 200 रुपये था। वर्ष 2011 में इन्हीं में से सुपरवाइजरों का समायोजन तृतीय वर्ग के कर्मचारियों के रूप में कर दिया गया। जबकि बांकी कर्मचारियों ...