सीवान, अक्टूबर 29 -- सीवान। बिहार में चुनावी माहौल बनते ही फिर से वादों की बारिश शुरू हो गई है। हर दल रोजगार, विकास, महिला सुरक्षा और किसानों के उत्थान की बातें कर रहा है। पर जनता अब सिर्फ सुनने नहीं, परखने के मूड में है। वर्षों से अधूरे वादों ने मतदाताओं के भरोसे की नींव हिला दी है। अब हम भाषणों पर नहीं, काम के रिकॉर्ड पर भरोसा करते हैं। महंगाई और सुरक्षा पर हर बार वादा होता है, लेकिन राहत नहीं मिलती। किसान अरुण यादव की पीड़ा स्पष्ट है- हर बार पानी और मूल्य समर्थन की बातें होती हैं, पर खेत सूखे रहते हैं। हर दल को अपनी वादों की प्रगति रिपोर्ट जनता के सामने रखनी चाहिए। नेताओं से सवाल पूछने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। जनता की सोच बदल रही है। अब मतदाता विकास के नारे नहीं, नतीजे देखना चाहता है। लोकतंत्र तभी सशक्त होगा, जब चुनावी घोषणापत्र 'वि...