नई दिल्ली। हिन्दुस्तान टाइम्स, अप्रैल 24 -- 45 साल के मदन मंडल एक ऐसी नौकरी की तलाश में थे जिसे वह 'सम्मानजनक नौकरी' कह सकते। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के शाहबाद डेयरी में रहने वाला अपनी खुद की दुकान खोलना चाहता था और उसे लगा कि फार्मेसी चलाना एक अच्छा विकल्प होगा। लेकिन उसके सामने केवल एक समस्या थी- मैट्रिक डिग्री। डिग्री नहीं होने की वजह से वह फार्मेसी डिप्लोमा नहीं कर सकता था जोकि केमिस्ट की दुकान चलाने के लिए जरूरी है। इसी के आधार पर फार्मेसी पंजीकरण प्रमाणपत्र मिलता है। ऐसे में मंडल ने अपना पंजीकरण दूसरे तरीके से करवाने का विकल्प चुना- उसने एक दलाल को 'पैकेज डील' के लिए 4 लाख रुपये दिए। कुछ ही दिनों में उसे मैट्रिकुलेशन और डिप्लोमा के फर्जी सर्टिफिकेट मिल गए। ढाई महीने बाद, दिल्ली फार्मेसी काउंसिल (डीपीसी) ने उसे रजिस्ट्रेशन नंबर जारी कर ...