अमरोहा, मार्च 11 -- होली से कई दिन पहले महिलाओं के ग्रुप एक-दूसरे के घरों में जाकर व्यंजन बनाने शुरू कर देते थे लेकिन अब इसमें बहुत बदलाव आया है। महिलाओं के ग्रुप लगभग खत्म हो गए हैं। परिवार की महिलाएं भी व्यजंन बनाने में एक-दूसरे की मदद नहीं करती हैं। नतीजा घरों में गुझिया, पापड़, कचरी, मालपुआ आदि बनाने का प्रचलन कम होता जा रहा है। यही वजह है कि लोग होली पर अब बाजार में दुकानों से व्यजंन खरीदकर ले आते हैं। नौकरीपेशा महिलाओं के पास व्यंजन बनाने का समय भी नहीं होता। दुकानों से खरीदे गए व्यंजनों की शुद्धता शत प्रतिशत नहीं होती है। बावजूद इसके बाजार में गुझिया 300 से 350 रुपये प्रति किलो तक की कीमत पर बिक रही है। मिठाई विक्रेता इशान अग्रवाल के मुताबिक बीते साल के मुकाबले इस बार गुझिया की बिक्री बढ़ी है।

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