कानपुर, जुलाई 22 -- कानपुर देहात,संवाददाता। जिले में ढाई दशक पूर्व तक युवाओं के आकर्षण का केंद्र अखाडे़ धीरे धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं,वहीं कुश्तियों का आकर्षण घटने से कभी-कभार ही पहलवानों के बीच कुश्ती के दांव पेंच देखने को मिलते हैं। मौजूदा समय में हाई-टेक जिम युवाओं की पहली पसंद बन चुके हैं। युवाओं में उत्साह नहीं दिखने से देशी मिट्टी की खुशबू लिए कुश्ती उपेक्षा के दांव से चित्त हो रही है। इससे व्यायाम शालाएं व अखाडे़ भी अब अस्तित्व खोते जा रहे हैं। ढाई दशक पहले तक रक्षा बंधन व नाग पंचमी के मौके पर गांवों में अखाड़ों के आयोजन होते थे। सावन का महीना शुरू होते ही युवा तैयारी करने के साथ ही खेतों में ही रियाज शुरू कर देते थे,वहीं परंपरागत अखाड़ों में भी कुश्ती के दांव पेंच सीखे जाते थे। उस समय अकबरपुर, रनियां, झींझक, गढ़िया सिकंदरा, सरगां...
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