गंगापार, मार्च 7 -- ग्रामीण क्षेत्र में खाली पड़ी जमीन भी आज खेती के काम में ले ली गई है। परिणामस्वरूप गांव में रहने वाले बच्चों को खेलने के लिए वर्तमान समय में मैदान भी नसीब नहीं हो पा रहा है। ऐसा नहीं कि गांव में बसने वाले ग्रामीणों के बच्चों में खेल की प्रतिभा की कोई कमी है लेकिन, उस प्रतिभा को निखारने के लिए उनके पास अन्य संसाधनों के साथ ही साथ खेल का मैदान भी मयस्सर नहीं है। कोटर निवासी पूर्व प्रधानाचार्य लल्लू प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि पहले जिन गांवों में पर्याप्त रकबा खेल के मैदान के लिए छूटा रहता था जिसमें हम लोग कबड्डी, कुश्ती आदि का खेल खेलते थे। क्रिकेट का खेल तो उस समय प्रचलन में नहीं था। आज उसी गांव में बच्चों को खेलने के लिए चार विस्वा जमीन भी खाली नहीं पड़ी है। जिसके चलते खेल की प्रतिभा से लवरेज बच्चे की प्रतिभा उसके अंद...