रिषिकेष, नवम्बर 6 -- श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के पांचवें दिन गुरुवार को जौलीग्रांट में गोवर्धन पूजा की महिमा का गुणगान किया गया। गौड़ीय मठ थानो त्रिदंडी स्वामी भक्ति प्रसाद त्रिविक्रम ने कथा के माध्यम से बताया कि गोवर्धन पर्वत की पूजा केवल आस्था नहीं, बल्कि प्रकृति और मानव के संतुलन का संदेश है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठाना भक्ति और संरक्षण की सर्वोच्च प्रेरणा है। गोवर्धन पर्वत के पूजा का महत्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य और संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा भी देता है। आयोजन में छप्पन भोग की झांकी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रही। यह झांकी गोवर्धन पूजा के दौरान भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाने वाले विविध स्वादिष्ट व्यंजनों का प्रतीक थी, जिसे देख श्रद्धा...