मथुरा, मार्च 11 -- वेदांत के सूत्रों में भी भक्ति की अनुभूति है। जीव ब्रह्म की ओर जा रहा है। ब्रह्म के निकट जाने से संसार के रंग फीके लगने लगते है और भगवत भक्ति का प्रेममयी रंग हम पर चढ़ने लगता है। सांसारिक विषयों से विरक्त होना ही भगवत कृपा की सुखानुभूति है। उक्त उद्गार सोमवार को श्रौतमुनि निवास में चल रही श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा ज्ञानयज्ञ के अवसर पर रमेश भाई ओझा ने व्यास पीठ से व्यक्त किये। उन्होंने गोपी उद्धव संवाद की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति वही सर्वोत्तम प्रेमभक्ति प्राप्त की है और उसी का आदर्श स्थापित किया है, जो बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों के लिये भी अत्यन्त दुर्लभ है। इससे पूर्व श्रीमद्भागवत एवं कथा व्यास का पूजन वैदिक विधि विधान के साथ गुरु गंगेश्वर ट्रस्ट के परमाध्यक्ष स्वामी आनंद भास्कर , स्वामी...
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