हाजीपुर, अप्रैल 15 -- गोरौल। संवाद सूत्र गो यानी इंद्रिय, पी यानी पीना ज्ञान इंद्रियों के द्वारा जो परमात्मा प्रेम का रसपान करते रहते है, वही गोपी है। जिनके मन में भगवान को प्राप्त करने की प्रबल कामना होती है वही गोपी है। इसलिए ब्रज की गोपियां आदि शक्ति मां भगवती कात्यायनी की पूजा करती थीं। उक्त बातें प्रखंड के चैनपुर गांव स्थित सर्व-मनोकामना सिद्ध संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रांगण में चल रहे श्रीमद्भगवत कथा ज्ञान महायज्ञ के दौरान भागवत मर्मज्ञ छोटे बापू जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि वृंदावन में निवास करने वाली गोपियां हमारे आपके जैसे जीव नहीं हैं। यह वह पुण्य आत्माएं हैं, जो गोपी रूप में भगवान से प्रेम करने के लिये प्रकट हुई है। भगवान ने उनके वस्त्र को चुराकर गोपियों को यह समझाया कि पूजा करना, जमुना जी में स्नान करना धर्म है, लेकिन प...