मैनपुरी, मई 28 -- क्षेत्र के ग्राम कंजाहार में भागवत कथा का आयोजन हो रहा है। कथा के पांचवें दिन कथाव्यास बंशी वाले शास्त्री ने राजा हरिश्चंद्र की कथा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि अयोध्या के राजा हरिश्चंद्र दानी राजा थे। उनकी कोई संतान नही थी। संतान की प्राप्ति को वह अपने गुरु वशिष्ठ के पास पहुंचे, तब गुरू वशिष्ठ ने वरुणदेव की आराधना की। वरुणदेव ने राजा को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। कहा कि तुम्हें अपने पुत्र की बलि देनी होगी। वरुणदेव ने कई बार राजा को अपने वरदान का स्मरण कराया लेकिन राजा ने अपने पुत्र की बलि नहीं दी। तब वरुणदेव ने उन्हें श्राप दे दिया। एक दिन गुरू विश्वामित्र राजा हरिश्चंद्र के दरबार में पहुंचे और राजपाठ मांग लिया। इस अवसर पर ब्लॉक प्रमुख सत्य पाल सिंह यादव, सुखेंद्र यादव,अनिल यादव, ओमवीर यादव, हरि मानव यादव, अनीता...