वाराणसी, जुलाई 12 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। गुरु और महापुरुषों की वाणी पर चलना ही उनके प्रति समर्पण है। यदि गुरुजन राष्ट्र के प्रतिकूल कोई बात कहें तो विवेक की कसौटी यही होगी कि आप उनकी बात को न मानें। महात्मा बुद्ध ने अपने विदेशी शिष्यों से पूछा कि आपलोग मुझे अपना गुरु मानते हैं, यदि मैं आपके देश पर आक्रमण करूंगा तब आप क्या करेंगे? उन लोगों ने कहा कि तब हम आपकी बात नहीं मानेंगे, अपने देश की रक्षा करेंगे। इसका अभिप्राय यह है कि गुरु के साथ अपने विवेक पर विश्वास रखना भी आवश्यक है। ये विचार श्री सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम ने व्यक्त किए। वह गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर आयोजित तीन दिनी कार्यक्रम में शनिवार को महिला एवं युवा गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम इस राष्ट्र का अन्न-जल ग्रहण करते हैं तो हमार...
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