पाकुड़, अगस्त 10 -- महेशपुर, एक संवाददाता। दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद आज भी लोगों के दिलों से उनकी याद मिटाए नहीं मिट रही है। कहीं उनकी तस्वीर दिखी कि नहीं बस उनकी चर्चा शुरू हो जाती हैं। जिला परिषद सदस्य सह झामुमो के वरिष्ठ कार्यकर्ता सामसुन मुर्मू ने बताया कि दिशोम गुरू शिबू सोरेन न केवल झारखंड की राजनीति के मजबूत स्तंभ थे। वे आदिवासी संस्कृति, उनकी अस्मिता और अधिकारों के भी संरक्षक थे। उनकी सादगी, संघर्ष, जनसेवा की भावना को याद कर दिल आज भी मर्माहत हो उठता है। झारखंड राज्य अलग करने के आंदोलन को मुकाम तक पहुंचाने में उन्होंने जो संघर्ष किया वह हमेशा के लिए याद किया जाता रहेगा। उनका निधन और हमारे बीच नहीं रहना दुखद है। पर उनके मूल्य, आदर्श, विचार आज भी हम झारखंड वासियों के लिए प्रेरणास्रोत का कार्य करती रहेगी। सामसुन मुर्म ने बत...
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