कन्नौज, दिसम्बर 1 -- छिबरामऊ, संवाददाता। गीता शास्त्र के पाठ और ज्ञान में किसी भी जाति, वर्ग या लिंग का भेदभाव नहीं है। यह उद्गार अखिल विश्व गीता ज्ञान महोत्सव में शक्तिपीठ गमा देवी के पुजारी पं. बनारसीदास शास्त्री ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गीता में मनुष्य मात्र का अधिकार है इसे पढ़ने का, चाहे वह स्त्री, वैश्य, शूद्र या कोई भी हो। गीता कर्म करने का अधिकार सिखाती है, फल की अभिलाषा नहीं। यदि हम परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पित हो जाएं तो परमात्मा हमारे भरण-पोषण की समस्त व्यवस्था स्वयं करते हैं। शक्तिपीठ गमा देवी मंदिर के पुजारी पं.बनारसीदास शास्त्री ने कहा कि शरीर नश्वर है, ब्रह्म ही सत्य है और जगत मिथ्या है। इस सत्य को सदा ध्यान में रखना ही कल्याण का मार्ग है। गीता जयंती के पावन अवसर पर गीता प्रेमियों को गीता ज्ञान यज्ञ का प्रसाद वितरि...
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