रामपुर, जुलाई 20 -- रामपुर। अंतिम शासक नवाब रजा अली खां गीतकार ही नहीं कंपोजर भी थे। होली गीतों के अलावा उन्होंने गाली भरी रचनाएं भी कीं और उन्हें रागों में कंपोज किया। नवाब रामपुर के इस रूप को उजागर इतिहासकार नफीस अहमद सिद्दीकी ने किया है। रजा लाइब्रेई ने एक पुस्तक प्रकाशित की है, जिसका नाम 'रामपुर दरबार का संगीत है। इतिहासकार नफीस सिद्दीकी की इस पुस्तक के अनुसार नवाब रजा अली खां ने ऐसे भी 'दुश्नाम लिखे हैं जिनमें समधन और समधी के नामों के साथ खुली गालियां हैं। ये दुश्नाम यानी गालियों भरे गीत नवाब रजा अली खां की पुस्तक 'संगीत सागर में नहीं हैं। गालियों भरी रचनाओं की रिकॉर्डिंग भी हैं, जिन्हें नवाब मुर्तजा अली खां की पत्नी बेगम आफ़ताब जमानी ने रिकार्ड कराया था और इन्हें राजवंशी मीरासनों माहपारा और तलत ने गाया था। इन रचनाओं की कम्पोज़ीशन में...