बिजनौर, जून 28 -- बिजनौर। गायत्री मंत्र का जप और गायत्री महायज्ञ ही हमारी सनातन संस्कृति का आधार है। जप और यज्ञ से विश्व पर आए अनेक संकटों का निवारण हुआ है और भविष्य में भी होता रहेगा। यह कहना है गायत्री परिवार के जोनल समन्वयक डी पी सिंह का। वे काकरान वाटिका में आयोजित ज्योति कलश स्वागत और पूजन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में हमारा अखंड भारत सोने से कपड़ा अन्न आदि खरीदता था। उन दिनों घर घर में गायत्री जप और महायज्ञ होता था। बाद में जब हम गायत्री यज्ञ से दूर हो गए तो यवनों और अंग्रेजों का शासन आया। ऐसे समय में ही परमपूज्य गुरुदेव आचार्य श्रीराम शर्मा ने गायत्री मंत्र की मशाल जलाई। 15 वर्ष की आयु में दादा गुरुदेव सर्वेश्वरानंद जी के निर्देश पर गायत्री मंत्र के 24 - 24 लाख के 24 पुरश्चरण किए। गायत्री सिद्ध होने पर उन्ह...