किशनगंज, अगस्त 4 -- किशनगंज, एक संवाददाता। रविवार को तपस्वी सन्तोषचंद श्यामसुखा के देवलोकगमन के उपलक्ष्य में उनकी बैकुंठी यात्रा के साथ निकाली गई। यह यात्रा गाजे-बाजे और उत्सवी माहौल में शहर के मुख्य मार्गों से होती हुई भूतनाथ गौशाला पहुंची। सैकड़ों लोग इस यात्रा में शामिल हुए। सभी ने पूरे जोश के साथ बैकुंठी यात्रा में हिस्सा लिया। पिछले सप्ताह 85 वर्षीय सन्तोषचंद ने जैन धर्म की पवित्र प्रथा संथारा व्रत का संकल्प लिया था। इस व्रत में व्यक्ति आजीवन भोजन और जल का त्याग करता है। सोमवार को संथारा शुरू करने के छह दिन बाद, शनिवार को सन्तोषचंद का संथारा पूर्ण हुआ, और उन्होंने देह त्याग दी। जैन धर्म में संथारा को सबसे बड़ी तपस्या माना जाता है। यह आत्मा को कर्मों से मुक्त करने और मोक्ष की ओर बढ़ने का मार्ग है। संथारा पूर्ण होने पर अंतिम यात्रा और दाह...