मुरादाबाद, अक्टूबर 1 -- मुरादाबाद। बरसों तक लोगों को लुभाती रही बापू की खादी के लिए दीवानगी अब घटती जा रही है। इसकी बड़ी वजह फैशन और प्राइस वार में खादी के उत्पादों का टिक नहीं पाना है। युवाओं में खादी के लिए दीवानगी अब बेहद कम नजर आ रही है। मुरादाबाद में गांधी आश्रमों एवं खादी भंडार का कारोबार महज पांच करोड़ तक सीमित रह गया है। एक तरफ जहां, तमाम तरह के ब्रांड एवं स्टोर कारोबार का फर्राटा भर रहे हैं, वहीं गांधी आश्रमों पर कारोबार महज अब सर्दी के मौसम से जुड़े उत्पादों जैसे लिहाफ, शॉल, कंबल आदि तक सीमित रह गया है। मुरादाबाद में अटल पथ स्थित गांधी आश्रम के संचालक सुनील कुमार पांडेय ने स्वीकार किया कि खादी के बने उत्पाद काफी अधिक महंगे होने के कारण भी लोगों की पहुंच से दूर होते जा रहे हैं। उदाहरण के लिए कश्मीरी वूलन पशमीना शॉल की कीमत 35 हजा...