हापुड़, मई 4 -- राजा भगीरथ की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने मोक्ष दायिनी गंगा मैया को स्वर्ग से धरती पर अवतरित करने की प्रार्थना स्वीकार की थी, परंतु धरती पर अवतरित होने से पहले मां गंगा की जलधारा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में समा लिया था। मुक्ति धाम ब्रजघाट की अमृत परिसर धर्मशाला में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिन मोक्ष दायिनी गंगा मैया के अवतरण की कथा हुई। वृंदावन धाम से आए व्यास मोहन दास ने कहा कि कपिल ऋषि के श्रास से भस्म हुए अपने पूर्वजों की मुक्ति को राजा भगीरथ ने हजारों वर्ष तक घोर तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने गंगा मैया को स्वर्ग से धरती पर भेजने की प्रार्थना स्वीकार कर ली थी। परंतु गंगा मैया के आगमन से जलधारा के तेज वेग के कारण देवी देवताओं ने समूचे श्रृष्टि नष्ट होने की ब...