प्रतापगढ़ - कुंडा, जून 19 -- मानिकपुर, हिन्दुस्तान संवाद। आषाढ़ शीतला सप्तमी मेले के चौथे दिन व्रती महिलाओं ने भोर से ही गंगा में डुबकी लगाने लगी। स्नान ध्यान के बाद गंगा मैया का पूजन किया।, बासी हलुवा पूड़ी चने (बसौड़े) का भोग लगाकर शीतला सप्तमी के चौमासे व्रत का पारण किया। सिद्धपीठ मां ज्वालादेवी का दर्शन पूजन किया। चैत्र मास के प्रथम सप्तमी को शीतला सप्तमी के नाम से जाना जाता है। चैत्र मास से शुरू हुए शीतला सप्तमी का व्रत आषाढ़ मास की शीतला सप्तमी के व्रत रखने के साथ ही समाप्त होता है। व्रती महिलाएं चौमासे व्रत में हर महीने की पहले पाख की सप्तमी को व्रत रखकर मां शीतला का पूजन करती हैं। आषाढ़ की सप्तमी को व्रत रखने के बाद महिलाएं अष्टमी को गंगा में डुबकी लगाकर गंगा मैया का पूजन अर्चन कर गंगा किनारे रेत में दह बिठाती है जिसमें विशेष प्रकार का...